AI Predict Death: मौत, जिंदगी का सबसे बड़ा रहस्य, सदियों से इंसान को उलझाता रहा है। कब, कैसे और कहां? ये सवाल हर किसी के मन में उठते हैं, लेकिन अब तक हमारे पास सिर्फ अनिश्चितता और तमाम मान्यताएं थीं। पर क्या आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (AI) इस रहस्य के पर्दे को उठा पाएगी? क्या भविष्य में AI बता पाएगी कि आपका अंत कब और कैसे होगा? एक नए शोध ने इस मुद्दे पर कुछ चौंकाने वाले निष्कर्ष सामने रखे हैं, आइए जानें क्या खुलासा हुआ है:
डेनमार्क का अनोखा शोध
डेनमार्क के टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ डेनमार्क (DTU) के वैज्ञानिकों ने एक अनोखा शोध किया है। इसमें उन्होंने 47 वर्ष की उम्र से ऊपर के लगभग 34 लाख डेनिश नागरिकों के अस्पताल के रिकॉर्ड्स का विश्लेषण किया। इसमें उनकी बीमारियां, दवाएं, लाइफस्टाइल और अन्य जानकारी शामिल थीं। इसके बाद AI मॉडल को इस डेटा पर प्रशिक्षित किया गया। इस एआई मॉडल का नाम life2ve है
शोध ने क्या बताया?
डेनमार्क के तकनीकी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन किया, जिसमें उन्होंने लाखों लोगों के जीवन के डेटा का विश्लेषण किया। इस डेटा में लोगों की उम्र, स्वास्थ्य रिकॉर्ड, जीवनशैली और सामाजिक-आर्थिक स्थिति जैसी जानकारी शामिल थी। इसके बाद AI ने इस डेटा को सीखा और लोगों की मृत्यु की संभावना का आकलन करने का मॉडल बनाया।
शोधकर्ताओं का कहना है कि एआई मॉडल मौजूदा तरीकों की तुलना में अधिक सटीक रूप से मृत्यु की संभावना की भविष्यवाणी कर सकता है। उदाहरण के लिए, यह 4 साल के भीतर किसी व्यक्ति के मरने की संभावना का 11% अधिक सटीक रूप से अनुमान लगा सकता है।
यह रिसर्च मंगलवार को नेचर कम्प्यूटेशनल साइंस जर्नल में प्रकाशित हुई है। इसमें शोधकर्ताओं ने 2008 से 2020 के बीच 6 मिलियन डेन का डेटा इकट्ठा किया। इस डेटा का इस्तेमाल स्वास्थ स्थिति और शिक्षा जैसे कामों के लिए किया गया था। इसमें रिसर्चर्स ने 35 से 65 उम्र के बीच विश्लेषण किया। इसमें कुछ डेटा ऐसे लोगों का भी था जिनकी मृत्यू 2016 और 2020 के बीच हुई है।
कैसे काम करता है AI?
AI डेटा में पैटर्न ढूंढने में माहिर है। इस शोध में एआई ने लोगों के जीवनशैली, स्वास्थ्य रिकॉर्ड और अन्य कारकों में ऐसे पैटर्न ढूंढे, जो उनके जीवनकाल से जुड़े हुए थे। उदाहरण के लिए, धूम्रपान करने वालों की तुलना में नॉन-स्मोकर्स के लंबे जीवन जीने की संभावना अधिक होती है। इसी तरह, जिन लोगों का ब्लड प्रेशर या कोलेस्ट्रॉल का स्तर ऊंचा होता है, उनके जीवनकाल पर इसका असर पड़ सकता है।
जीवनशैली का अहम रोल
शोध में पाया गया कि AI मॉडल सिर्फ मेडिकल रिकॉर्ड्स ही नहीं, बल्कि जीवनशैली से जुड़े आंकड़ों को भी मृत्यु के जोखिम के मूल्यांकन में शामिल करता था। इसमें शिक्षा का स्तर, आय, धूम्रपान की आदत, शराब का सेवन और व्यायाम की मात्रा जैसे कारक शामिल थे। इससे पता चलता है कि मृत्यु का खतरा सिर्फ बीमारियों से ही नहीं, बल्कि हमारी जीवनशैली से भी काफी हद तक जुड़ा हुआ है।
नैतिक सवाल खड़े हुए
इस शोध ने हालांकि मृत्यु की भविष्यवाणी में AI की क्षमता का खुलासा किया है, लेकिन इसके साथ ही कई नैतिक सवाल भी खड़े हो गए हैं। क्या लोगों को उनके मृत्यु के जोखिम के बारे में बताया जाना चाहिए? कैसे इस जानकारी का इस्तेमाल किया जाएगा? क्या इसका दुरुपयोग हो सकता है? इन सवालों का जवाब देने के लिए अभी और शोध की जरूरत है।
भविष्य का रास्ता क्या है?
यह निश्चित है कि AI मेडिकल क्षेत्र में क्रांति ला रही है। मृत्यु की भविष्यवाणी से जुड़े इस शोध के भविष्य में कई संभावनाएं नजर आती हैं। एक तरफ यह डॉक्टरों को मरीजों के इलाज में बेहतर निर्णय लेने में मदद कर सकता है, लेकिन दूसरी तरफ इसके नैतिक पहलुओं पर भी सावधानीपूर्वक विचार करना होगा। आने वाले समय में इस क्षेत्र में और शोध होने की उम्मीद है, जो हमें यह समझने में मदद करेगा कि एआई को कितना और कैसे इस्तेमाल किया जाए।