Bhashini: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते रविवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक अनोखे तरीके से जनता से संवाद किया। नमो घाट पर आयोजित ‘काशी-तमिल संगमम’ के उद्घाटन के दौरान पीएम मोदी ने ‘Bhashini’ नामक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल का इस्तेमाल किया, जिसने उनके भाषण का रियल टाइम में तमिल भाषा में अनुवाद किया। इस तकनीकी नवाचार ने सभा में मौजूद तमिल समुदाय के लोगों को प्रधानमंत्री के शब्दों को सीधे समझने का मौका दिया और भाषण को और भी खास बना दिया।
क्या है ‘Bhashini’?
‘Bhashini’ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित एक भाषा अनुवाद तकनीक है, जिसे IIM-बैंगलोर और IIT-मद्रास के शोधकर्ताओं ने विकसित किया है। यह तकनीक भारतीय भाषाओं के बीच रियल टाइम में सटीक और प्राकृतिक अनुवाद करने में सक्षम है। ‘Bhashini’ मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का इस्तेमाल कर भाषण को सुनती है, ट्रांसक्रिप्ट तैयार करती है, और फिर उसे दूसरी भाषा में अनुवाद करती है। यह तकनीक अभी हिंदी-तमिल अनुवाद के लिए विकसित की गई है, लेकिन भविष्य में इसे अन्य भारतीय भाषाओं के लिए भी बढ़ाया जा सकता है।
क्यों है खास?
पीएम मोदी ने ‘भाष्णि’ का इस्तेमाल करना इसलिए खास है क्योंकि यह पहली बार है जब किसी प्रधानमंत्री ने इस तरह के AI टूल का इस्तेमाल कर जनता से सीधा संवाद किया है। इससे साफ पता चलता है कि सरकार तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दे रही है और यह सुनिश्चित करना चाहती है कि हर क्षेत्र तक इसका लाभ पहुंचे। साथ ही, ‘भाष्णि’ का इस्तेमाल भारत की बहुभाषी संस्कृति को भी दर्शाता है और क्षेत्रीय भाषाओं को महत्व देता है।
जनता ने किया स्वागत
वाराणसी में मौजूद तमिल समुदाय के लोगों ने ‘Bhashini’ के इस्तेमाल का स्वागत किया। उन्हें पीएम मोदी के भाषण को सीधे अपनी भाषा में सुनने का मौका मिला, जिससे वे भाषण से और जुड़े। इससे भारतीय संस्कृति में समावेशिता और एकता को बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी।
भविष्य की संभावनाएं
‘Bhashini’ जैसी तकनीकें भविष्य में संचार और प्रशासन को पूरी तरह से बदल सकती हैं। इसका इस्तेमाल सरकारी कार्यक्रमों, मीटिंग्स, और यहां तक कि संसद जैसे स्थानों पर अनुवाद के लिए किया जा सकता है। इससे क्षेत्रीय भाषाओं का इस्तेमाल बढ़ेगा और जनता सरकार के साथ ज्यादा जुड़ाव महसूस करेगी।
‘Bhashini’ एक नई और विकसित होती हुई तकनीक है, जिसकी आगे की संभावनाएं काफी रोमांचक हैं। भविष्य में, इस तकनीक का इस्तेमाल न केवल प्रधानमंत्री के भाषणों के लिए, बल्कि अन्य सरकारी संदेशों और सूचनाओं के अनुवाद के लिए भी किया जा सकता है। इससे देश में सूचना प्रसार का एक नया युग शुरू हो सकता है।