भारत सरकार सोशल मीडिया दिग्गज WhatsApp को एक आदेश देगी जिसमें कंपनी को यूजर का डेटा सरकार के साथ साझा करना होगा। अगर आप सोच रहे हैं कि सरकार ऐसा क्यों कर रही है तो दरअसल इसकी वजह एआई का बढ़ता दुरुपयोग है।
दरअसल, देश में इंटरनेट पर एआई का दुरुपयोग कर सरकार के खिलाफ भ्रामक और गलत सूचनाएं तेजी से फैलाई जा रही हैं। वहीं AI के जरिए सरकार और आम जनता को निशाना बनाया जा रहा है और WhatsApp के जरिए ऐसे कंटेंट तेजी से वायरल हो रहे हैं। वही,कंपनी का कहना है कि इससे यूजर्स की प्राइवेसी कमजोर होगी क्योंकि दो लोगों के बीच बातचीत का विवरण कंपनी के पास भी उपलब्ध नहीं है।
ये है ख़ास वज़ह
आपको बता दे की लोकसभा चुनाव 2024 से पहले, भारत सरकार एक कानून लागू करने के बारे में सोच रही है जिसके तहत WhatsApp को संदेश भेजने वाले पहले व्यक्ति का विवरण साझा करना होगा। ऐसा प्लेटफॉर्म पर प्रसारित होने वाले डीपफेक से लड़ने के लिए किया जा रहा है। सरकार की योजना आईटी नियम 2021 की धारा 4 (2) के तहत कंपनी से लोगों का डेटा मांगने की है, जो यूजर्स की प्राइवेसी के बारे में महत्वपूर्ण सवाल उठाता है। आपको बता दें कि भारत सरकार WhatsApp से फर्जी कंटेंट प्रसारित करने वाले लोगों का डेटा मांगेगी और ऐसे कंटेंट के प्राथमिक स्रोत के खिलाफ कार्रवाई करेगी।
WhatsApp मैसेज हैं एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड
अभी WhatsApp मैसेज एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं, और यहां तक कि कंपनी भी इन संदेशों को नहीं देख सकती है। अगर सरकार यूजर्स से अपना डेटा शेयर करने को कहती है तो इससे लोगों की प्राइवेसी कमजोर होगी। WhatsApp कथित तौर पर यूजर्स की प्राइवेसी बढ़ाने के लिए एक नया फीचर लाने की दिशा में भी काम कर रहा है।
कंपनी जल्द ही यूजर्स को कॉल में अपना आईपी एड्रेस छिपाने की सुविधा दे सकती है। यह सुविधा यूजर्स को इंटरनेट अटैक के खतरे से बचाएगी। नया विकल्प, जैसा कि WABetaInfo द्वारा देखा गया है, वर्तमान में कुछ एंड्रॉइड और iOS उपयोगकर्ताओं के लिए व्हाट्सएप बीटा पर उपलब्ध है। फिलहाल आईपी एड्रेस छिपाने का विकल्प कुछ चुनिंदा लोगों के लिए ही उपलब्ध है। हालाँकि, WhatsApp भविष्य में इस सुविधा को सभी के लिए उपलब्ध कराने के बारे में सोच रहा है। फीचर के लॉन्च की सही तारीख अभी भी ज्ञात नहीं है।