Water From Air: भारत के कई राज्यों में गर्मी के दिनों में पानी या पीने के लिए पानी की दिक्कत तो अब आम परेशानी हो गई। इस परेशानी के बढ़ने का मेन कारण है जलवायु परिवर्तन और बढ़ते प्रदूषण। ऐसे में देश को पानी की दिक्कत झेलने से बचाने के लिए बेंगलुरु बेस्ड डीप-टेक स्टार्टअप, Uravu लैब्स ने एक शानदार तकनीक अपनाया है। जिसकी मदद से अब हवा से भी पीने योग्य पानी बनाया जा सकता है। यह स्टार्टअप सूखे में एक वरदान के रुप में काम करेगा। इस स्टार्टअप का मुख्य उद्देश्य यह है कि पानी की एक बूंद भी बर्बाद नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही यह कंपनी अपने 100% रिन्यूएबल वाटर टेक्नोलॉजी को बढ़ाने के पूंजी को बड़े स्तर पर इस्तेमाल करना चाहती है।
आज कई सारे सेक्टर में रिन्यूएबल रिवॉल्यूशन देखने को मिल रहा है जैसे कि सोलर PV और हवा के ज़रिए इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर में रिन्यूएबल एनर्जी का उत्पादन किया जा रहा है। ऐसे में वॉटर सेक्टर कैसे पीछे रह सकता था। ऐसी उम्मीद की जा रही है और Uravu लैब की इस नई पहल से वाटर सेक्टर में भी रिन्यूएबल वाटर बनाने में बढ़ावा मिलेगा।
कैसे आया यह आइडिया?
उरावु लैब्स के को फाउंडर में से एक स्वप्निल श्रीवास्तव ने बताया कि कैसे उन्हें इस तकनीक को विकसित करने के बारे में आइडिया आया। इसके बारे में बताते हुए उन्होंने कहा की अपने कॉलेज के दिनों के दौरान एक आवश्यकता के कारण उन्हें हवा से पानी इकट्ठा करने का विचार आया। आगे बताते हुए उन्होंने कहा कि “साल 2015 में, जिस नदी से उनके कॉलेज में पानी का सप्लाई किया जाता था, वह नदी कुछ दिन बाद सूख गई। उस दौरान उनके कॉलेज में टैंकर से पानी मंगवाया जाता था। जिसमें हर एक स्टूडेंट्स को हर रोज़ केवल एक बाल्टी पानी ही दिया जाता था। इसलिए उन्होंने सोचा, क्यों न नमी से पानी इकट्ठा किया जाए ? शायद सभी की जरूरतों के लिए तो नहीं, लेकिन कम से कम पीने के पानी और खाना पकाने के पानी के पानी बनाया जा सकता है। इसके बाद श्रीवास्तव ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर इसपर काम करना शुरू किया और उरावु लैब में इस तकनीक को विकसित किया।
कैसे काम करता है यह तकनीक?
यह यूनिक टेक्नोलॉजी हवा की नमी का इस्तेमाल करके हाई क्वालिटी वाले पेयजल का उत्पादन करती है। इसको बनाने के लिए रिन्यूएबल एनर्जी का उपयोग किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि वातावरण के हवा में दुनिया की सभी नदियों के 6 गुना के बराबर पानी होता है और यह हर 8-10 दिनों में नेचुरली भर जाता है। कंपनी इस तकनीक में लिक्विड डिसीकैंट नामक चीज़ का उपयोग कर रही है। ये नमक के घोल हैं जिनके गुण समान हैं। जिसमें इसके ऊपर से हवा गुजारने पर यह नमी सोख लेगा। और एक बार नमी एब्जॉर्ब हो जाने के बाद, इस लिक्विड नमक को लगभग 60-70 डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया जाता हैं। जिसके बाद जब इसे दबाने पर सारी नमी छोड़ देता है और फिर हम इसे इकट्ठा करके ताजा पानी बनाया जाता है। वहीं इस तकनीक में सूर्य की स्वच्छ और असीमित ऊर्जा का भी उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही इस तकनीक में वेस्ट हीट व बायोमास के कार्बन न्यूट्रल सोर्स का भी उपयोग किया जाता है।