सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म YouTube यूजर्स को परेशान करने का एक नया तरीका अपना रहा है। अब वो उन यूजर्स के लिए वीडियो लोडिंग स्पीड को जानबूझकर कम कर रहा है, जो एड ब्लॉकर्स का इस्तेमाल करते हैं। इसका मतलब है कि अगर आप YouTube पर बिना विज्ञापन देखना चाहते हैं, तो आपको वीडियो लोड होने का ज्यादा इंतजार करना पड़ सकता है।
YouTube की तरफ से स्लो किया जा रहा है वीडियो
यह नया कदम पिछले कुछ हफ्तों से कुछ यूजर्स द्वारा रिपोर्ट किया गया है। वे बताते हैं कि जब वे एड ब्लॉकर्स का इस्तेमाल करते हैं, तो वीडियो धीरे लोड होते हैं, बफरिंग बार बार आता है और प्लेबैक रुक-रुककर चलता है।
यूजर्स YouTube वीडियो देखने के लिए एड ब्लॉकर का ही इस्तेमाल कर रहे हैं। YouTube ने कहा है कि यूजर्स जितना जल्दी हो सके प्रीमियम का सब्सक्रिप्शन ले लें या फिर वीडियोज के साथ एड भी देखें।
YouTube ने इस समस्या से निपटने के लिए दो तरीके अपनाए हैं। पहला तरीका यह है कि वह यूजर्स को पॉप अप नोटिफिकेशन के जरिए एड ब्लॉकर को हटाने और प्रीमियम सब्सक्रिप्शन के लिए कह रहे है। दूसरे तरीके में वह पूरी साइट को ही स्लो कर दे रहा है जिसके बाद यूजर्स परेशान हो जा रहे हैं।
क्यों उठा रहा है यूट्यूब यह कदम?
माना जा रहा है कि यूट्यूब ऐसा इसलिए कर रहा है ताकि यूजर्स एड ब्लॉकर्स का इस्तेमाल न करें और विज्ञापन देखें। दरअसल, यूट्यूब का ज्यादातर रेवेन्यू विज्ञापनों से ही आता है। एड ब्लॉकर्स इस्तेमाल करने से यूजर्स विज्ञापन नहीं देख पाते हैं, जिससे यूट्यूब की कमाई कम हो जाती है।
क्या है यूजर्स की प्रतिक्रिया?
यूट्यूब के इस कदम पर यूजर्स का गुस्सा फूट पड़ा है। कई यूजर्स ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि यह प्लेटफॉर्म का एक हथकंडा है और यूजर्स के अनुभव को खराब करने का तरीका है। कुछ यूजर्स ने तो यहां तक कह दिया है कि वे अब यूट्यूब का इस्तेमाल ही बंद कर देंगे।
क्या है एड ब्लॉकर्स का इस्तेमाल बढ़ने का कारण?
एड ब्लॉकर्स के इस्तेमाल में बढ़ोतरी का एक मुख्य कारण लगातार बढ़ते हुए विज्ञापनों की संख्या है। कई यूजर्स शिकायत करते हैं कि यूट्यूब पर अब वीडियो से ज्यादा विज्ञापन आते हैं। ये विज्ञापन न सिर्फ परेशान करते हैं, बल्कि वीडियो देखने के अनुभव को भी खराब करते हैं। यही कारण है कि यूजर्स एड ब्लॉकर्स का इस्तेमाल कर इन विज्ञापनों से बचने की कोशिश करते हैं।
क्या है आगे का रास्ता?
यह देखना होगा कि यूट्यूब के इस कदम का भविष्य में क्या प्रभाव पड़ता है। यूजर्स का विरोध लगातार बढ़ता है तो संभव है कि यूट्यूब को अपना फैसला वापस लेना पड़े। वहीं, अगर विज्ञापन प्रस्तुतिकरण के तरीके में सुधार नहीं होता है, तो एड ब्लॉकर्स का इस्तेमाल भी बढ़ सकता है। कुल मिलाकर, यूट्यूब को आने वाले समय में यूजर्स की नाराजगी को शांत करने के लिए कोई रास्ता निकालना होगा।