Narendra Chanchal Birth Anniversary: आपने चमत्कार का नाम तो जरुर सुना होगा पर ऐसा देखने को काफी कम मिलता है, पर कई लोग ऐसे हैं जिनके साथ कुछ ऐसी घटना हुई होती है जोकि चमत्कार से कम नहीं है. ऋषि कपूर और डिंपल कपाड़िया की डेब्यू फिल्म ‘बॉबी’ तो आपको याद ही होगी जिसमें ‘बेशक मंदिर मस्जिद तोड़ो’ गाना गाया गया था.
इस गाने से रातों-रात स्टार बने नरेंद्र चंचल (Narendra Chanchal) की आज बर्थ एनिवर्सरी है. इस गाने की सफलता के बाद उन्हें कई भक्ति गाने का ऑफर मिला लेकिन कहते है न कि जब सिर पर सक्सेस का भूत सवार हो जाए तो व्यक्ति गलत रास्ते पर चल पड़ता है. नरेंद्र चंचल (Narendra Chanchal) को भी अपनी सफलता रास नहीं आ रही थी और उन्होंने एक बार कुछ ऐसा कर दिया जिसके बाद उनकी जिंदगी बदल गई.
एक बहाना पडा़ भारी
नरेंद्र चंचल (Narendra Chanchal) का जन्म 16 अक्टूबर 1940 को अमृतसर में हुआ. शुरू से ही उनके घर में भक्ति का माहौल हुआ करता था जिस वजह से उन्हें इसकी शिक्षा मिली. उनके आवाज को पहचानने वाले राज कपूर ही थे जिन्होंने उनके गाने की तारीफ की और बॉबी फिल्म में गाने का मौका दिया. इसके बाद तो बेशक मंदिर मस्जिद तोड़ो गाना इतना ज्यादा सुपरहिट हुआ कि इसके लिए उन्हें बेस्ट सिंगर का फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.
इसके बाद वह देश और विदेशों में कंसर्ट करने लगे. पैसा और शोहरत मिलने के बाद उन्होंने यह फैसला लिया कि अब भजन नहीं सिर्फ फिल्मी गीत गाऊंगा. एक दिन नरेंद्र चंचल म्यूजिक नाइट के लिए आगरा जा रहे थे, उससे पहले काली माता के मंदिर माथा टेकने गए. यहां जब कुछ भक्तों ने उनसे भजन गाने के लिए कहा तो उन्होंने तबीयत खराब होने का बहाना बनाया और वहां से चले गए.
चमत्कार होते ही फिल्मी गाने से कर ली तौबा
कहा जाता है ना कि कब किसके जुबान से क्या निकल जाए और इसका असर क्या हो, वह किसी को पता नहीं होता. नरेंद्र चंचल (Narendra Chanchal) के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. वह बहाना बनाकर उस मंदिर से निकल गए लेकिन उस रात ऐसा हुआ कि उनकी आवाज चली गई. उन्हें समझ आ गया था कि माता रानी ने उन्हें उनके अहंकार की सजा दी है. वह कई महीनो तक बिना आवास के रहे. कई ट्रीटमेंट चले लेकिन वह ठीक नहीं हुए, पर बाद में जब ठीक हुए तो उन्होंने सिर्फ माता के भजन और गीत गाने का फैसला किया और उसके बाद फिल्मी गानों से तौबा कर लिया.