Valmiki Tiger Reserve: वाल्मीकि टाइगर रिजर्व बिहार के वेस्ट चंपारण क्षेत्र में स्थित है। यह बिहार का एकमात्र टाइगर रिजर्व है। यह देश का सबसे पुराना और बड़ा टाइगर रिजर्व में से एक है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 899 वर्ग किलोमीटर (करीब 347 वर्ग मील) है। साल 1990 में स्थापित किया गया, यह अभयारण्य मशहूर मुनि वाल्मीकि के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने हिन्दू महाकाव्य रामायण की रचना की थी।
यह टाइगर रिजर्व अपनी समृद्ध बायोडायवर्सिटी के लिए जाना जाता है और कई प्रजातियों के जीवों का निवास स्थान भी है। इसमें घने जंगल, घास के मैदान, नदियां और झीलों जैसे विभिन्न आवासीय स्थान शामिल हैं। यह कई लुप्तप्राय और दुर्लभ प्रजातियों के लिए प्राकृतिक आवास प्रदान करता है। वाल्मीकि बाघ अभयारण्य मुख्य रूप से अपनी बंगाल टाइगर की जनसंख्या के लिए जाना जाता है। यहां काफी संख्या में बंगाली बाघों की अनुमानित प्रजाति रहती है, जो भारत में बाघ की सबसे आम उपप्रजाति है। यह अभयारण्य उनके संरक्षण और सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
बंगाल टाइगर के के अलावा, यह टाइगर रिजर्व 250 पक्षियों की प्रजातियों, 53 मैमल्स, 145 पक्षी, 26 रेप्टाइल्स और 13 एमफिबियंस के साथ अन्य वन्यजीव प्रजातियों का भी निवास स्थान है। जैसे कि तेंदुआ, भालू, जंगली सूअर, साम्बर हिरन, बार्किंग हिरण, इंडियन सिवेट, इंडियन गौर और लंगूर विभिन्न प्रजातियों का समूह यहां देखने को मिल जाएगा।
वाल्मिकी टाइगर रिज़र्व पक्षी देखने वालों के लिए स्वर्ग है, क्योंकि इसमें विविध पक्षियों की प्रजाति देखने को मिलती है। यहां पक्षियों की 240 से अधिक प्रजातियों का घर है, जिनमें माइग्रेंट बर्ड भी शामिल हैं जो सर्दियों के महीनों में आते हैं। यहां पाई जाने वाली कुछ उल्लेखनीय पक्षी प्रजातियों में भारतीय मोर, एशियन पाइड हॉर्नबिल, व्हाइट-रम्प्ड गिद्ध और बंगाल फ्लोरिकन शामिल हैं।
इस रिज़र्व में विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे पाए जाते हैं। जिनमें घने साल के जंगलों से लेकर घास के मैदान तक शामिल हैं। जंगलों में साल (शोरिया रोबस्टा), आसन (टर्मिनलिया टोमेंटोसा), और सिसम (डालबर्गिया सिसू) जैसे पेड़ों का जंगल देखने को मिलता है। इसके अलावा यहां एक्वाटिक प्लान्ट के लिए वेट लैंड भी है। इसके साथ ही इस टाइगर रिजर्व के अंदर, रामायण लिखने वाले ऋषि महर्षि वाल्मिकी को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है। मंदिर के पास स्थित वाल्मिकी आश्रम को भगवान राम और सीता के जुड़वां पुत्रों लव और कुश का जन्मस्थान माना जाता है।
वाल्मिकी टाइगर रिजर्व सक्रिय रूप से संरक्षण पहल में शामिल है और वन्यजीवों और उनके प्राकृतिक आवासों की रक्षा की दिशा में काम करता है। इसका प्रबंधन बिहार वन विभाग द्वारा किया जाता है और यहां वन्यजीवों के सतत विकास और संरक्षण करने के लिए विभिन्न संगठनों और समुदायों का भी सहयोग रहता है। वाल्मिकी टाइगर रिजर्व में आने वाले पर्यटक वन्यजीव सफारी, बर्डवॉचिंग, प्रकृति की सैर और प्राचीन विरासत स्थलों की खोज जैसी गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं। हालाँकि, वन्यजीवों और पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रिजर्व अधिकारियों द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों और नियमों का पालन करने के साथ ही इसका आनंद ले सकते हैं।